मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश क्री राजधानी भोपाल है । 1 नवम्बर, 2000 तक मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य था । विभाजन कर छत्तीसगढ नाम से नया राज्य बनाने के बाद इनका क्षेत्रफल कम हो गया । मध्य प्रदेश की सीमाएँ महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ, और राजस्थान से मिलती हैं ।
मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक विवरण
आदि ऐतिहासिक काल में मानव प्रवास के प्रमुख मार्ग उत्तर से दक्षिण की ओर इस राज्य से ढोकर गुज़रते ये, जिसने परवर्ती समय में व्यापारियों और साम्राज्य निर्माताओँ क्रो आकर्षित किया 1 ऐतिहासिक विवरण के अनुसार, इस पूँर काल के दोरान उत्तर और दक्षिण भारत के राजनीतिक-आर्थिक प्रभाव क्षेत्रों कं बीच मध्य प्रदेश का कभी एक तो कभी दूसरा भाग निरन्तर अतगन्डालग शासकों के हाथों से गुज़रता रहा । निष्कर्षतद्र इस राज्य को उत्तर और दक्षिण भारत के मध्य सांस्कृतिक उत्कर्ष का क्षेत्र कहा जा सकता है । मध्य प्रदेश का इतिहास काफी प्राचीन हे । आद्य ऐतिहासिक संस्कृति के अनेक अवशेष, जिनमें पाषाण चित्र और पत्थर व धातु के औजार शामिल हैँ, नदियों, घाटियों और अन्य इलाकों में मिले हैं । इस राज्य का सबसे प्रारम्भिक अस्तित्वमान राज्य अवंति था, जिसकी राजधानी उज्जैन थी ।
मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित यह राज्य मौर्य साम्राज्य (चौथी से तीसरी शताब्दी ई.पू.) का अंग था, जो बाद में मालवा के नाम से प्रसिद्ध हुआ । इस राज्य के आधे पश्चिमी भूभाग में पायी जाने वाली काली उपजाऊ मिट्टी को वजह से देश के विविध हिस्सों से प्रवासी इस क्षेत्र में श्रावस्ती से मालवा में आकर मिलते थे । ईसा पूर्व की दूसरी शताब्दी से लेकर ईसवी की सोलहवीं शताब्दी तक मथ्य प्रदेश कै कुछ हिस्सों या सम्पूर्ण भूभाग पर शासन करने वाले विमिन्न राजवंशों में पूर्वी मालवा के शासक शुग (185 से 73 ईंमूश्रे; आन्ध्र (सातवाहना पहली या तीसरी शताब्दी ईपू. -तीसरी शताब्दी); क्षत्रप (दूसरी से चौथी शताब्दी); और नाग (दूसरी से चौथी शताब्दी) शामिल हैँ । ‘
मध्य प्रदेश की नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित पूरा इलाका गुप्त साम्राज्य (चौथी-पाँचवीं शताब्दी) के अन्तर्गत आता था । यह क्षेत्र यायावर हूणों और क्तचुरियों के सत्ता संघर्ष का स्थल रहा, बाद में मालवा के एक हिस्से पर कलचुरियों ने थोड़ेसै समय के लिए अधिकार कर तिया । छठी शताब्दी कं दौरान यशोधवर्मन यहाँ के प्रमुख शासक थे, इन्होंने हूणों से छीनकर सत्ता प्राप्त की थी । सातवीं शताब्दी के पहले अद्धांश में उत्तरी भारत के शासक हर्ष (हर्षवर्द्धन) ने मालवा को हस्तगत कर लिया ।
दसवीं शताब्दी तक क्लचुरी नर्मदा घाटी समेत पूर्वी मध्य प्रदेश पर अधिकार के लिए फिर से उठ खड़े हुए । उनके समकालीन थे, धार (अब पश्चिमी क्षेत्र) में परमार उत्तर में (ग्वालियर मे) कछवाहा और झाँसी से लगभग 160 दक्षिण-पश्चिमी में खजुराहो में चंदेल । बाद में तोमरों ने ग्वालियर और जनजातीय गोंडों ने अनेक जिलों पर शासन किया । ग्यारहवीं शताब्दी कं दौरान इस क्षेत्र पर मुसलमानों ने हमला करना प्रारम्भ का दिया ।_ ग्वालियर की हिन्दू रियासत को सन् 1231 में सुल्तान शन्तुद्दीन इस्तुतमिश ने दिल्ली सल्लनत में मिला लिया । बाद में चौदहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में ख़लजी सुल्तानों में मालवा को रौंदकर रख दिया, जिसके बाद महान्तम मुग़ल शासक अकबर (शासनकाल, सन् 1556-1605) ने इसे मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया । अठारहवीं शताब्दी की शुरुआत में ही मराठा शक्ति ने मालवा पर अधिकार जमा लिया और सन् 1760 तक एक बड़ा, जो अब मध्य प्रदेश हे, मराठों के अन्तर्गत आ गया । सन् 1761 में पेशवा (वंशानुगत मुख्यमम्बी, जिसने मराठा शासन को कैन्दीकृत किया) की पराजय के साथ ही उत्तर र्में ग्वालियर में सिन्धिया और दक्षिण-पश्चिम में इन्दोर में होल्कर राजवंश (मराठा ही ये) का शासन स्थापित हो गया ।
उन्नीसर्वी शताब्दी के प्रारम्भ में यह क्षेत्र उत्तरोत्तर अव्यवस्था से ग्रस्त होता गया; जब र्पिंडारी लुटेरों के दल, जो पहले मराठा सरदारों की सेना से सम्बद्ध घुडसवार थे, मध्य भारत के अपने गुप्त स्थानों से आकर नगरों और पाँवों में आक्रमण काना प्रारम्भ कर दिया । पिंडारियों को सिन्धिया और होल्कर राजवंशों को मौन संरक्षण हासिल था । अठारहवीं शताब्दी के शुरुआती दौर में जब आन्तरिक मतभेदों और ब्रिटिश सरकार की वक्ती सैन्य उपस्थिति से मराठा संघ कमजोर हो रहा था, पिंडारियों ने अपने स्वायत्त दल बना लिए ।
सन् 1818 तक ब्रिटिश फौजें न सिर्फ पिंडारियों को बल्कि विभिन्न मराठा राजवंशों को भी कुचलने में समर्थ हो राई 1 इसी वर्ष “सागौर और नर्बदा प्रदेश’, जिनमें उत्तरी मथ्य प्रदेश (ग्वालियर और इन्दौर के सिन्थिया और होल्कर राजवंश) का अधिकांश हिस्सा शामिल या, उभरते हुए ब्रिटिश साम्राज्य क्रो सौंप दिए गए 1 तत्पश्चात् 40 सालों तक इस क्षेत्र में ब्रिटिश सरकार की स्थिति काफी सुदृढ हो गई 1 सन् 1880 के दशक के प्रारम्भ में ठगों के दमन के लिए ब्रिटिश फ्रीज की ज़रूरत पडी 1 ये संन्यासियों के वेष में हत्यारे व लुटेरे (कम से कम सन् चौदहवीं शताब्दी से इनका अस्तित्व था) ये और पूरे मध्य भारत में घूमते रहते थे 1 सन् 1854 तक इस राज्य पर ब्रिटिश शासन का पूरा नियन्त्रण हो गया ।
वर्तमान सीमाओँ ने सन् 1861 मेँ आकार ग्रहण करना प्रारम्भ किया था, जब . सागौर और नर्बदा राज्य और दक्षिण में नाममुर राज्य को मध्य राज्य बनाने कँ लिए मिला तिया गया 1 सन् 1908 में इसमें बरार कॅ मुस्लिम राज्य को शामिल कर दिया गया तत्पश्चात् इसका नाम बदलकर “मध्य राज्य और बरार” रख दिया गया, यद्यपि इस प्रशासनिक इकाई मेँ वर्तमान राज्य के उत्तरी और पश्चिमी भाग (मालवा, बुंदेलखण्ड और बघेलखण्ड) शामिल नहीं थे, जिनसे मिलकर सन् 1854 में सेन्द्रल एजेंसी का कुछ हिस्सा निर्मित्त हुआ सेन्द्रल इण्डिया एजेसी व मध्य राज्य और बरार के बीच में स्थित भोपाल क्री मुस्लिम रियासत ब्रिटिश सरकार के संरक्षित राज्य के रूप में बनी रही ।
सन् 1947 में देश के आजाद होने के बाद पुरानी सेस्ट्रल इण्डिया एजेंसी से अलग करके मध्य भारत और चिंथ्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया । तीन साल बाद सन् 1950 में मध्य राज्य और बरार का नाम बदलकर मध्य प्रदेश रख दिया गया 1 सन् 1956 कँ राज्य पुनर्गठन अधिनियम कें साथ ही मध्य प्रदेश को भाषाई आधार पर पुनर्गठित किया गया और इसकी वर्तमान सीमाओँ का निर्धारण हुआ । इस अधिनियम कं द्वारा मध्य प्रदेश के दक्षिणी मराठीभाषी जिलों को मुम्बई राज्य (अबमहाराष्ट्र राज्य में) और बहुत-से हिन्दी भाषी क्षेत्रों-भोपाल और विंध्य प्रदेश मध्य भारत के अधिकांश भाग क्रो मध्यप्रदेश में मिला तिया गया और इस प्रकार भारतीय संघ का सबसे विशाल राज्य अस्तित्व में आया ।
मध्य प्रदेश की भू-आकृति
यह भारत का सबसे विशाल राज्य है, जो देश के क्षेत्रफल का लगभग 10 प्रतिशत, 3, 08, 000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक में फैला हुआ है । छत्तीसगढ के निर्माण के लिए इसके उत्तरी जिलों को अलग करने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीतिक सीमा का वर्ष 2000 में पुचानिधरिण किया गया । यह प्रदेश चारों तरफ से उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, बिहार और छत्तीसगढ कौ सीमाओं से घिरा हुआ है । मध्य प्रदेश 100 से 1200 मीटर की ऊँचाई पर हे । राज्य के उत्तरी भाग क्री भूमि उत्तर की ओर उठती है । दक्षिणी भाग “पश्चिम की ओर ऊपर उठता है । पर्वत श्रृंखलाओं में पश्चिम व उत्तर में 457 मीटर तक ऊँची विंध्य व कैमूर पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में 914 मीटर से भी अधिक ऊँची सतपुडा व महादेव पर्वत श्रृंखलाएँ हैँ ।
दक्षिण मध्य प्रदेश मेँ पंचमढी के समीप स्थित धूपगढ़ शिखर (1350 मीटर) राज्य का सबसे ऊँचा शिखर हे । विंध्य पर्बत श्रृंखला कं पश्चिमोत्तर में मालवा का पठार (लगभग 457 से 609 मीटर) हे । मालवा का पठार विध्य पर्बत श्रृंखला से उत्तर की और हे । मालवा के पठार के पूर्व में बुदेलखंड का पठार स्थित हे, जो उत्तर प्रदेश कै गंगा दो मेदान में जाकर मिल जाता है ।
मध्य प्रदेश की जलवायु
मध्य प्रदेश की जलवायु मानसून पर निर्भर करती है । ग्रीष्म ऋतु गर्म व शुष्क होतीहै और गर्म हवाएँ चलती हैं । राज्य का औसत तापमान 29 डिग्री से. रहता हे । कुछ भागों मेँ तापमान 48 डिग्री से. तक पहुँच जाता हे । सर्दियों खुशनुमा और शुष्क होती हैँ । दिसम्बर और जनवरी मेँ समुचित वर्षा होती है, जिसका सम्बन्ध राज्य के पश्चिमोत्तर भाग में होने वाले उष्णकटिबंधीय विक्षोभ से है । औसत वर्षिक वर्षा 1, 117 मिमी० होती है । सामान्यत: पश्चिम और उत्तर की ओर वर्षा की मात्रा 60 इंच, पूर्व मेँ इससे अघिक और पश्चिम में 32 इंच तक घटती जाती है । चंबल घाटी में हर साल वर्षा का औसत 30 इंच से कम रहता है ।
वन एवम वन्य प्राणी
सरकारी आँकडों से यह स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश कं एक तिहाई क्षेत्रफल मेँ वनों का विस्तार हे । उपग्रह से प्राप्त चित्रों से पता चलता हे कि लगभग 1/5 भाग ही वनाच्छदित हैँ, जो जंगलों के तेजी से घटते जाने को दर्शाता है । यह अन्तर इस तथ्य से उभरकर सामने आता हे कि उपग्रह से प्राप्त चित्र वन्य पेड़-पोधों वाले इलाके को दिखाते हैँ, जबकि सरकारी दस्तावेज़ वन विभाग द्वारा
अधिगृढित क्षेत्र को दशति हैं । इस अन्तर से यह भी पता चलता है कि वन क्षेत्र सिकुड रहा है । मध्य प्रदेश कं कुछ ही प्रतिशत हिस्से में स्थायी चरागाह या यास के मेदान हैं ।
प्रमुख वन क्षेत्रों में विंध्य पर्वत श्रृंखला, कैमूर की पहाडियों, सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला, वघेलखंड का पठार और दंडकारण्य क्षेत्र शामिल हैं । सर्वाधिक महत्व के वृक्ष सागौन, साल, बॉस, सलाई और तेन्दूहैँ । सलाई से निकलनेवाला तीसा अगरबत्ती और औषधि बनाने के काम आता है । तेन्दूकै पत्ते बीडी बनाने के काम आते हैँ, फ्तों को बीडी बनाने में प्रयोग किया जाता हे जबलपुर और सागर इसके प्रमुख वज्जि हैँ । मध्य प्रदेश के चनों में जंगली जानवरों की पर्याप्त संख्या हैँ, जैसे…बाय, तेन्दुआ, जंगली साँड, चीतल, भालू, जंगली भैंसा, साम्भर और काला हिरन आहुँदे । इसके अलावा इन वनों में पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियाँ भी आदि हैं ।
राज्य में अनेक राष्टीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य हैं, जिनमें मण्डला व बालाघाट जिले में स्थित कान्हा राष्टीय उद्यान दलदली हिरन; शहडोल जिले का ‘बॉंधवगढ़ राष्टीय उद्यान दुर्लभ सफेद बाघों कै अभयारण्य और शिवपुरी राष्टीय उद्यान पक्षियों की आश्रय स्थली के तौर पर सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं ।
कान्हा राष्टीय उद्यान में बाघों के लिए वन्यजीव अभयारण्य भी हे और चम्बल अभयारण्य को मगरमच्छी के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया हे । वनों की सुरक्षा और विकास के लिए, जिसमें वृक्षारोपण भी शामिल है, राज्य सरकार ने बहुत-सी वन समितियाँ आसपास के ग्रामीणों को साझेदारों कं रूप में जोड़ने के लिए बनाई गई हैँ ।
संस्कृति और लोक जीवन
इस राज्य की कुल आबादी का 20 प्रतिशत से अधिक निवासी आधिकारिक तोर पर अनुसूचित जनजाति कं रूप में वर्गीकृत हैं । इन जनजातियों मेँ भील, वेगा, मोंड, कारकू, कोल कमार और मारिया सम्मलित हैँ । मध्य प्रदेश की कुत जनसंख्या का तीन चौथाई से भी ज्यादा भाग गाँवों में निवास करती हे । लेकिन इनका वितरण काफी आसान है । सघन जनसंख्या वाले इलाके महानदी घाटी, ऊपरी वेनगंगा याटी, निचली चम्बल घाटी, नर्मदा घाटी और साथ ही पश्चिमी मध्य प्रदेश मेँ मालया कै पठार कै इधर-उधर बिखरे हुए क्षेत्रों तक सीमित हैं । मध्य प्रदेश के प्रमुख नगरीय कैन्द्र जबलपुर, छिन्दवाड़ा व होशंगाबाद जिलों (राज्य के पश्चिमी और मध्य भाग में स्थित) में हैं । प्रचुर मात्रा में खनिज उपलब्ध करानेवाले लेकिन पिछडे हुए जिलों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्धारा भारी मात्रा में निवेश किए जाने से महत्त्वपूर्ण नगरीय विकास हुआ हे ।
प्रमुख नगरीय संफ्रेंद्रण इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, उज्जैन और सागर मेँ हुआ हे । इन शहरों में अपेक्षाकृत सुविकसित औद्योगिक आधार है । म्बात्तियर, उज्जैन और सागर शिक्षा कं जाने-माने कंन्द्र भी हैं । मध्य प्रदेश की प्रमुख भाषा हिन्दी हे । यहाँ कै अधिकांश निवासी यही भाषा बोलते हैं । पूर्वी हिन्दी अवधी व बघेली बोलियों का प्रतिनिधित्व करती हे और बघेलखण्ड, सतपुडा व ऊपरी नर्मदा घाटी में बोली जाती है । बुन्देली पश्चिमी हिन्दी की बोली है और मध्य प्रदेश के मध्यवर्ती व पश्चिमोत्तर जिलों में बोली जाती हे । भील लोग भीती और गोंड बासी गोंडी भाषा सर्वाधिक रूप से बोली जाने वाली हिसाब से दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण भाषा मराठी है । उर्दू उडिया, गुजराती और पंजाबी बोलनेवाले लोग भी यहाँ काफी संख्या में हैं । इसके अलावा तेलुगू, बाँग्ला, तमिल ओर मलयालम भी बोली जाती हे । अधिकांश लोग डिन्दू हैँ । हालाँकि मुसलमानों, जैनियों, ईसाइयों और बौद्धों को आबादी भी संख्या के तिहाज से महत्वपूर्ण है । यहाँ सिक्ख भी जनसंख्यक्च का छोटा-सा हिस्सा हे ।
मध्य प्रदेश देश के राज्यों और केन्द्रशग्रसिंत प्रदेशों में जनसंख्या की दृष्टि से सातवाँ स्यान रखता हे । सन् 1991 के लिंग अनुपात (प्रति हजार पुरुषों में महिलाओं की संख्यक्व) 912 की तुलना में वर्तमान लिंग अनुपात सुधरकर 920 हो गया हे । मध्य प्रदेश एक ऐतिहासिक राज्य है । यहाँ कईं प्राचीन मन्दिर किले और गुफाएँ दर्शनीय हैँ । जिनमें क्षेत्र के पूर्व इतिहास और स्थानीय राजवंशों व राज्यों, दोनों कै ऐतिहासिक अध्ययन की दृष्टि से रोमांचक प्रमाण मिलते हैं । यहाँ के प्रारम्भिक स्सारकों में से एक सतना के पास भस्तुत का स्तूप लगभग (175 ईं.पू.) हे, जिसके अवशेष अब कोलकाता कै राष्टीय संग्रहालय में रखे हैं । ऐसे ही एक स्मारक, साँची कै स्तूप (विदिशा से लगभग 13 मि॰मी. दक्षिण-पश्चिम में) को मूलत: 265 से 238 ई.पू. में सम्राटू अशोक ने बनवाया था । बाद में शुभ राजाओं ने इस स्तूप में और भी काम करवाया ।
बौद्ध विषयों पर आधारित चित्रों से सुसज्जित महू के समीप स्थित बाध गुफाएँ विशेषकर उल्लेखनीय हैँ, विदिशा कै समीप उदयगिरि की गुफाएँ (बौद्ध और जैन मठ) चट्टान काटकर बनाए गए वास्तुशिल्प और कला का उदाहरण प्रस्तुत करती हैँ । मध्य प्रदेश के छतत्युर जिले में स्थित खजुराहो के प्रसिद्ध मन्दिर सम्पूर्ण विश्व में श्रृंगारिक कला के लिए जाने जाते हैं । 1000 ईसे बनना शुरु हुए इन
मन्दिरों का निर्माण चन्देल राजाओं ने करवाया था । ग्वालियर और उसके आसपास कै मन्दिर भी उल्लेखनीय हैँ । मापडू (धार कं समीप) के महल और मस्जिद, चौदहवीं शताब्दी में बनवाये गये ।
बॉंधवगढ़ का अदूभुत किला और सम्भवत: मध्य प्रदेश कै भूतपूर्व वहुँश्वरों के आवासों में सबसे शानदार ग्वालियर का किला वास्तुशिल्पीय उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य उल्लेखनीय उदाहरण हैं । वेसे तो इस राज्य के निवासियों ने बाहरी प्रभावों को कमोवेश ग्रहण क्सिस्ना है, लेक्ति उनकी कई जनजातीय परम्पराएँ जीवंत तथा सशक्त बनी हुई हैं और जनजातीय मिथकों व लोककथाओं को बड्री संख्या में सुरक्षित रखा गया है । प्रधान (गोंडों कं भाट) अब भी गोंड जनजाति के पौराणिक आदि पुरुष लिंगोक्वेंपेन की अनुश्रुत वीर गाथाओं को गाते हैं । महाभारतक्री समतुल्य गोंडों की ‘प’डवानीम्हें जबकि “रामायण” का गोंड समतुल्य लछमनजति दंतकथा है ।
मध्य प्रदेश में अपने मूल के सम्बन्ध में हर जनजाति के अपने मिथक और दंतकथाएँ हैँ । इसके अपने जन्मोत्सव तथा विवाह के गीत हैं और बिभिन्न नृत्य शैलियों क्री संगत उनके गानों से की जाती है । लोककथाएँ, पहेलियों और लोकोक्तियाँ इनकी सास्कृतिक विरासत की विशेषताएँ हैं । इस राज्य में प्रतिवर्ष अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । उदाहरणार्थ उज्जैन का कालिदास समारोह (प्रदश्ये कलाओं और ललित कलाओं के लिए), ‘ ग्वालियर का तानसेन समारोह (गायन) और खजुराहो का नृत्य महोत्सव, जिसमें भारत भर कै कलाकार शामिल होते हैँ ।
भोपाल में एक वेजोड़ सास्कृतिक भवन “भारत भवन है‘ जो विभिन्न क्षेत्रों कै कलाकारों कै मिलन-स्थल का काम करता हे । भोपाल ताल के समीप स्थित इस भवन के एक संग्रहालय, एक पुस्तकालय, एक मुक्तस्काशी रंगमंच और बहुत-से सम्मेलन परिसर हैं । मंदसौर और उज्जैन में महत्त्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक मेले लगते हैँ ।
आर्थिक संसाधन
कृषि
राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ मिलकर “चंबल राज्य” की उत्तरी सीमा बनाता हैं । इसकी घाटी की भूमि ऊबड़-खाबड़ हे । मध्य प्रदेश की मिट्टी को दो भागों मैं बाँटा जा सवन्ता हे काली मिट्टी-यह मालवा कं पठार कं दक्षिणी भाग, नर्मदा घाटी और सतपुड़ा बो कुछ भागों में मिलती है । इसमें चिकनी मिट्ठी का कुछ अंश रहता है, भारी वर्षा या बाढ कं पानी से सिंचाई से कात्ती मिट्ठी जलावरुद्ध हो जाती हे ।
तरल-पीली मिट्टी…इसमेँ कुछ मात्रा बालू की रहती है । यह शेष मध्य प्रदेश में पाई जाती हे । कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार हे । राज्य की 74.73 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती हे और खेती पर ही निर्भर है । राज्य की लगभग 49 प्रतिशत जमीन खेती योग्य हैँ । 2004-2005 में शुद्ध बुवाई क्षेत्र 1247 लाख हेक्टेयर कं लगभग या और अनाज का कुल उत्पादन 14.10 करोड मीट्रिक टन रहा । गेहूँ चावल, दलहन जैसी प्रमुख फसलों का उत्पादन भी अच्छा रहा । 20 जिलों में “राष्टीय बागवानी मिशन” क्रियान्वित किया गया है ।
बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग नाम से अलग विभाग का गठन किया गया है । कृषि योग्य भूमि चंबल, मालवा का पठार और रेवा कं पठार मेँ मिलती हैं । नदी द्वारा बहाकर लाई गई जलोढ़ मिट्टी से ढकी नर्मदा घाटी उपजाऊ इलाका हे । मथ्य प्रदेश की कृषि की विशेषता कृषि की परम्परागत पद्धति का उपयोग है । कृषि योग्य भूमि का केवल 15 प्रतिशत भाग हीँ सिंचित है, राज्य की कृषि वर्षा पर निर्भर है और बहुधा कृषकों क्रो सूखे व लाल-पीली मिट्टी के कारण नमी क्री कम मात्रा का सामना करना पडता है ।
मध्य प्रदेश में होने वाली सिंचाई मुख्यत: नहरों, कुओं, गाँवों के तालाबों और झीलों से होती हैँ । प्रमुख फसलें चावल, गेहूँ ज्वार, दलहन (चना, सेम और मसूर जैसी फलियाँ) और मूँगफली हैँ । अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में मुख्यत: चावल उगाया जाता है । पश्चिमी मध्य प्रदेश में गेहूँ और ज्वार अधिक होता है । अन्य फसलों में अलसी, तिल, गन्मा और पहाडी क्षेत्रों में उगाया जाने वाले ज्वार-बाजरां प्रमुख हैँ । राज्य अफीम, मंदसौर जिले मेँ और मारिजुआना, दक्षिणी-पश्चिमी खांडवा जिले में, का उत्पादक राज्य है । मध्य प्रदेश मेँ पशु पालन और कुवकुट पालन महत्त्वपूर्ण हैं । देश के कुल पशुधन (गाय, मैंस और भेड और सूअर) का लगभग सातवां भाग इस राज्य में डै ।
ओद्योगिक क्षेत्र एवं खनिज संपदा
मध्य प्रदेश ने इलेबट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोटस्वाहनों, सूचना प्रौद्योगिकी आदि उच्व तकनीकी उद्योगों कै क्षेत्र में प्रवेश कर लिया हे । दूरसंचार प्रणालियों के लिए
यह राज्य आँप्टिकत्त फाइबर का उत्पादन कर रहा हे । इंदौर के पास पीठमपुर में बडी संख्या में मोटर वाहन उद्योग स्थापित हुए हैँ ।
राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग हैँ-भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लि , होशंगाबाद में सिक्योरिटी पेपर मिल, देवास में नोट छापने की प्रेस, नेपानगर में अखबारी कागज की मिल और नीमच की अल्फालॉंयड फैकट्री ।
गत वर्ष राज्य में सीमेंट का उत्पादन 12.49 लाख मीट्रिक टन हुआ । पीठमपुर में जल्दी ही एक मालवाहक विमान परिसर स्थापित किया जा रहा है । भारत सरकार इंदौर में बिशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित कर रही हे । समग्र आर्थिक विकास नीति लागू कर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है ।
राज्य ने निवेश को आकर्षित करने के लिए आकर्षक लूट देने के लिए औद्योगिक प्रोत्साहन नीति की घोषणा की हे । अब तक उद्योग लगाने की इच्छा जाहिर करने वाले 5200 करोड़ रुपये कै निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हे ।
सागर जिले के बीना में काफी समय से लंबित 10, 300 करोड़ रुपये की लागत वाली ओमान बीना तेलशोधक परियोजना तैयार डै । भारत सरकारने घार जिले के पीठमपुर में एक राष्टीय आँटोमोटिव परीक्षण, अनुसंधान तया विकास परियोजना क्रो मंजूरी दे दी हे ।
राज्य सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निजी निवेश को बढावा देने के लिए एक नई सूचना प्रोद्योगिकी नीति लागू की हैं । खनिज उत्पादन के क्षेत्र में राज्य का विशिष्ट स्थान हे । वर्ष 2005416 में 5312.65 करोड़ रुपये के खनिजों का उत्पादन हुआ ।
राज्य में 21 तरह के खनिज निकाले जाते हैं । 2006 में डोलोमाइट का उत्पादन 128 हजार मीट्रिक टन, हीरे का उत्पादन 44149 हजार कैरेट और सुंग पत्थर का 25865 हजार मीट्रिक टन, बॉक्साइट का उत्पादन 87 हजार मिलियन मीट्रिक टन, ताम्र अयस्क का उत्पादन 1706 हजार मिलियन मीट्रिक टन और कोयले का उत्पादन 54000 हजार मिलियन मीट्रिक टन रहा ।
यह राज्य चचेरी और माहेश्वर के पारंपरिक हस्तशिल्प और हथकरघे से वने कपडों के लिए प्रसिद्ध है । मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में अवस्थित हिंगलाजगंढ परमार मूर्तिकला के विशिष्ट कैन्द्र के रूप में प्रसिद्ध है ।
मध्य प्रदेश कै प्रमुख जिला को सूची मध्य प्रदेश राज्य में फुल 50 जिले हैं जो निम्मानुसार हैं
1. इंदौर
2. अलीराजपुर
3. खरगोन
4. खण्डवा
5.उज्जैन
6 छिंदवाड़ा
7. जबलपुर
8. झाबुआ
9 टीकमगढ़
10. दतिया
11. दमोह
12 देवास
13. धार
14. डिंडोरी
15 नरसिंहपुर
16. नीमच
17. पन्ना
18 बड़वानी
19. बालाघाट
20. बेतुल
21 बुराहनपुर
22. पिंड
23. भोपाल
24 मण्डला
25. मंदसौर
26.मुरैना
27 रतलाम
28. रीवा
29. राजगढ़
30 रायसेन
31. विदिशा
32. सागर
33 सीधी
34. र्सिंगरोत्ती
35. सिबनी
36 सिहोर
37. सतना
38. शाहडोल
39 श्योपुर
40. शिवपुरी
41. शाजापुर
42 हरदा
43. होशंगाबाद
44. छतरपुर
45 उमरिया
46. अनुपपुर
47.गुना
48 अशोकनगर
49. ग्वालियर
50. कटनी
यातायात
मध्य प्रदेश में सडकों की कुल लंबाई 7331 1″ किलोमीटर है । राष्टीय राजमार्गों की लंबाई 4280 किसी और प्रांतीय राजमार्गों क्री लंबाई 8729 किमी है । राज्य में सडकों कं निर्माण तथा सुधार का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है तथा लगभग 60 हजार किमी सड़कों का निमणि तथा सुधार का कार्य किया जाएगा । वर्ष 2005 को “सड़कों का वर्ष’ कॅ रूप में मनाया गया । इस दौरान प्रत्येक माह एक महत्वपूर्ण सडक का निर्माण कार्य पूरा किया गया ।
रेल मार्ग
उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोडने वाला प्रमुख रेलमार्ग मध्य प्रदेश से हाँका गुजरता है । राज्य में भोपाल, बीना, ग्वालियर, इंदौर, इटारसी, जबलपुर, कटनी, रतलाम और उज्जैन मुख्य जंक्शन हैँ । रेलवे के क्षेत्रीय मुख्यालय भोपाल, रतलाम और जबलपुर में हैं । राज्य से गुजरने वाला प्रमुख रेलमार्ग मूलत: चेन्नई, ‘ मुंबई, और कोलकाता बंदरगाहों को राज्य के भीतरी प्रदेश से. जोडने के लिए बनाया गया था ।
हवाई मार्ग
मध्य प्रदेश राज्य भारत के अन्य भागों से भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, रीवा और खजुराहो में स्थित हवाई अड्डों व बहुत से राष्टीय राजमार्गों द्वारा भी जुडा हुआ है ।
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